सिर्फ जिस्म नहीं, रूह पर भी दाग़ आ जाता है, मेरी जां ! जब "दिल" में "दिमाग" आ जाता है सिर्फ जिस्म नहीं, रूह पर भी दाग़ आ जाता है, मेरी जां ! जब "दिल" में "दिमाग" ...
मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी। मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी।
हमारे माथे की बिंदी है हमारी हिन्दी हमारे माथे की बिंदी है हमारी हिन्दी
गम ही तो है साथी जो हर मौसम में साथ निभाता है गम ही तो है साथी जो हर मौसम में साथ निभाता है
कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं
गजल-नए प्रतीकों वाले शेर इस गजल की विशेषता है। गजल-नए प्रतीकों वाले शेर इस गजल की विशेषता है।